top of page
newsbre.jpg
Writer's pictureYCONE

डीआईसीजीसी अधिनियम की धारा 18 ए के अंतर्गत भुगतान - समावेशी दिशानिर्देशों के अधीन दो बैंक..


प्रैस विज्ञप्ति : डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के अनुसार, निम्नलिखित बैंक के पात्र जमाकर्ताओं को भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान संबंधित बैंकों द्वारा, डीआईसीजीसी द्वारा निर्धारित रूप और तरीके से, 45 दिनों की वैधानिक समय सीमा के भीतर अर्थात 27 जुलाई, 2024 तक दावा सूची प्रस्तुत किए जाने के अधीन होगा।

अनु क्र.

बैंक का नाम

शहर, राज्य

अंतिम तारीख

दस्तावेज़ जमा करने की तारीख

1

अमानाथ को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (समावेशी दिशानिर्देशों की तिथि 12 जून 2024)

बैंगलोर, कर्नाटक

27 जुलाई 2024

10 सितम्बर 2024

2

कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (समावेशी दिशानिर्देशों की तिथि 12 जून 2024)

कारवार, कर्नाटक

27 जुलाई 2024

10 सितम्बर 2024

सूचना: उपरोक्त बैंकों के जमाकर्ताओं को सूचित किया जाता है कि वे अपने जमा बीमा दावों को संबंधित बैंक में जमा करें। दावे पहचान के आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़ और जमा राशि प्राप्त करने की लिखित सहमति (सम्मति घोषणा) द्वारा समर्थित होनी चाहिए। साथ ही, अपने वैकल्पिक बैंक खाते का विवरण भी प्रदान करें, जिसमें यह राशि, समान क्षमता और समान अधिकार में अधिकतम ₹5 लाख तक जमा की जा सके। कृपया ध्यान दें कि प्रस्तुत की गई सम्मति घोषणा बैंक में जमाकर्ता द्वारा रखे गए सभी जमा खातों के लिए लागू होगी।

भुगतान प्रक्रिया: वैध दस्तावेज़ जमा करने वाले जमाकर्ताओं को भुगतान उनके निर्दिष्ट वैकल्पिक बैंक खाते या आधार से जुड़े बैंक खाते में क्रेडिट द्वारा किया जाएगा। यह भुगतान बैंक द्वारा धारा 18 ए (2) के अनुसार जमाकर्ता सूची प्रस्तुत करने की वैधानिक समय सीमा का पालन किए जाने के अधीन होगा।




जमा बीमा योजना, 1961 (Deposit Insurance Scheme, 1961) भारत सरकार द्वारा 1961 में शुरू की गई एक योजना है जो बैंकों में जमा राशि की सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य बैंकों में ग्राहकों द्वारा जमा की गई राशि की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।


यह योजना भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा संचालित की जाती है और इसके तहत निम्नलिखित बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं:

  1. डिपॉज़िट कवर: इस योजना के तहत, प्रत्येक जमा खाते (विवाहित या अकेला) में रखी गई राशि पर एक निश्चित सीमा तक का कवर प्रदान किया जाता है। वर्तमान में, यह सीमा ₹5 लाख तक की जमा राशि पर लागू होती है। इसका मतलब है कि यदि कोई बैंक विफल हो जाता है, तो हर खातेधारक को ₹5 लाख तक की राशि का भुगतान मिलेगा।

  2. सुरक्षा का आश्वासन: यह योजना बैंकों के विफल होने की स्थिति में ग्राहकों को जमा राशि की सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे लोगों का विश्वास बैंकों में जमा करने में बना रहता है।

  3. ऑटोमेटिक कवरेज: सभी नियोजित बैंकों की जमा राशि स्वचालित रूप से इस योजना के तहत आती है। कोई भी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है।

  4. सभी प्रकार की जमा राशि: यह योजना बचत खाते, चालू खाते, और फिक्स्ड डिपॉज़िट जैसे सभी प्रकार की जमा राशि पर लागू होती है, बशर्ते कि जमा राशि ₹5 लाख तक हो।

योजना के लाभ:

  • वित्तीय सुरक्षा: ग्राहकों को बैंक विफलता की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा मिलती है।

  • विश्वास में वृद्धि: इस योजना की वजह से ग्राहकों को बैंकों पर विश्वास बढ़ता है, जिससे वे बिना चिंता के बैंक में पैसे जमा कर सकते हैं।

  • स्वतंत्रता: ग्राहकों को किसी विशेष बैंकर के पास जाकर अतिरिक्त बीमा की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि कवरेज स्वचालित रूप से लागू होता है।

इस योजना का उद्देश्य वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, जिससे बैंकिंग प्रणाली पर लोगों का विश्वास बना रहे।


यदि आपकी जमा राशि ₹1 लाख है और आप जमा बीमा योजना, 1961 के अंतर्गत आते हैं, तो आपको ₹1 लाख की पूरी राशि पर बीमा कवर मिलेगा। इस योजना के तहत, ग्राहकों को बैंक विफलता की स्थिति में ₹5 लाख तक की जमा राशि की सुरक्षा मिलती है, तो आपकी ₹1 लाख की जमा राशि पूरी तरह से सुरक्षित होगी।


यदि आपके पास बैंक में ₹10 करोड़ जमा हैं, तो जमा बीमा योजना, 1961 के तहत केवल ₹5 लाख तक की राशि पर ही कवर मिलेगा। इसका मतलब है कि बैंक विफलता की स्थिति में आपको ₹5 लाख तक की राशि का बीमा कवर प्राप्त होगा, और ₹9.95 करोड़ की राशि का कोई बीमा कवर नहीं होगा।



जमा बीमा योजना, 1961 के फायदे और नुकसान निम्नलिखित हैं:

फायदे:

  1. वित्तीय सुरक्षा:

    • बैंक के विफल होने की स्थिति में, ग्राहकों को ₹5 लाख तक की जमा राशि की सुरक्षा मिलती है। यह वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है और आपको बड़ी वित्तीय हानि से बचाता है।

  2. विश्वास में वृद्धि:

    • इस योजना की वजह से ग्राहकों का बैंकों पर विश्वास बढ़ता है। लोग बिना चिंता के बैंक में पैसे जमा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि उनके जमा राशि की एक सीमा तक सुरक्षा है।

  3. स्वचालित कवरेज:

    • यह कवरेज स्वचालित रूप से सभी योग्य बैंकों के खातों पर लागू होती है। ग्राहकों को विशेष प्रबंधन की आवश्यकता नहीं होती।

  4. सभी प्रकार की जमा राशि पर लागू:

    • यह योजना बचत खाते, चालू खाते, और फिक्स्ड डिपॉज़िट जैसी सभी प्रकार की जमा राशि पर लागू होती है।

  5. बैंकों में जमा के लिए प्रोत्साहन:

    • यह योजना बैंकों में जमा करने के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित करती है, जो कि वित्तीय प्रणाली की स्थिरता में योगदान करता है।

नुकसान:

  1. सीमित कवरेज:

    • इस योजना का बीमा कवर केवल ₹5 लाख तक की जमा राशि के लिए उपलब्ध है। इससे अधिक की राशि पर कोई कवरेज नहीं मिलता, जो कि बड़ी जमा राशि वाले लोगों के लिए समस्या हो सकती है।

  2. आंशिक सुरक्षा:

    • यदि किसी व्यक्ति की जमा राशि ₹5 लाख से अधिक है, तो केवल ₹5 लाख ही बीमित होगा, जबकि बाकी की राशि पर कोई सुरक्षा नहीं होगी। यह बड़ी राशि वाले निवेशकों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

  3. प्रकृति की सीमाएं:

    • यह योजना केवल बैंकों की जमा राशि के लिए लागू होती है और अन्य वित्तीय संस्थानों जैसे कि म्यूचुअल फंड्स या बीमा योजनाओं पर लागू नहीं होती।

  4. उच्च जोखिम वाले संस्थानों के लिए कवरेज की कमी:

    • यदि बैंक के विफल होने की स्थिति में ग्राहक की जमा राशि की सीमा केवल ₹5 लाख है, तो बड़ी वित्तीय संकट की स्थिति में यह पूरी सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाती।

  5. डिपॉज़िट की प्रकृति:

    • केवल जमा राशि पर बीमा कवर मिलता है; निवेशित धन जैसे शेयर, बॉंड्स, या अन्य संपत्तियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं होती।

निष्कर्ष:

जमा बीमा योजना, 1961 का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखना और छोटे निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना है। हालांकि, बड़ी जमा राशि वाले ग्राहकों के लिए इसकी सीमित कवरेज एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय हो सकती है।


4 views0 comments

Commentaires


bottom of page