PIB-1 Aug: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (एसपीसीबी/पीसीसी) के साथ मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए जल (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974, वायु (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू कर रहा है। सीपीसीबी प्रदूषण सूचकांक (पीआई) के आधार पर उद्योगों को लाल, नारंगी, हरा और सफेद श्रेणियों में वर्गीकृत करता है, जो जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और खतरनाक अपशिष्ट उत्पादन की क्षमता का एक कार्य है और इसे संबंधित एसपीसीबी/पीसीसी द्वारा लागू किया जाता है। तदनुसार, एसपीसीबी/पीसीसी द्वारा राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में इकाइयों को स्थापित/संचालित करने के लिए सहमति जारी की जाती है। एसपीसीबी/पीसीसी अपशिष्ट और उत्सर्जन निर्वहन मानकों के अनुपालन की निगरानी भी करते हैं। गैर-अनुपालन की स्थिति में इकाई के विरुद्ध जल अधिनियम, 1974, वायु अधिनियम, 1981 तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।
एसपीसीबी/पीसीसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में कुल 5,26,691 परिचालन इकाइयां (प्रदूषण क्षमता वाली) हैं, जिनमें लाल, नारंगी और हरी श्रेणियां शामिल हैं।
पर्यावरणगत नियमों के उल्लंघन के मामले में जैसा उचित समझा जाए, कारण बताओ नोटिस जारी करने/बंद करने के निर्देश जैसी कार्रवाई की जाती है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान सीपीसीबी में प्राप्त शिकायतों की राज्यवार संख्या अनुलग्नक-I में संलग्न है । पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान वायु, जल और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले रासायनिक उद्योगों के संबंध में फैक्ट्रीवार और राज्यवार सूची अनुलग्नक-II में संलग्न है। बूचड़खानों, डेयरी और चमड़ा उद्योगों से संबंधित प्राप्त शिकायतों की सूची अनुलग्नक-III में संलग्न है । कृषि आधारित उद्योगों के संबंध में प्राप्त शिकायतों का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-IV में संलग्न है।
सरकार ने औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषण के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए कई विनियामक उपाय किए हैं। उठाए गए/जा रहे उपायों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं;
भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) ने पर्यावरण संरक्षण नियम, 1986 की अनुसूची-I के अंतर्गत “विभिन्न उद्योगों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निर्वहन के लिए मानक” अधिसूचित किए हैं। अब तक 79 औद्योगिक विशिष्ट पर्यावरण मानक अधिसूचित किए जा चुके हैं। जिन औद्योगिक क्षेत्रों के लिए विशिष्ट मानक उपलब्ध नहीं हैं, उनके लिए पर्यावरण संरक्षण नियम, 1986 की अनुसूची-VI के अंतर्गत अधिसूचित सामान्य मानक लागू हैं।
सीपीसीबी ने एसपीसीबी/पीसीसी को निर्देश दिया है कि वे पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन के सत्यापन के लिए 6 महीने, 1 वर्ष और 2 वर्ष की न्यूनतम निरीक्षण आवृत्ति पर लाल, नारंगी और हरे रंग की श्रेणियों के उद्योगों का निरीक्षण करें। इसके अतिरिक्त, एसटीपी, सीईटीपी, सीबीएमडब्ल्यूटीएफ आदि जैसी सामान्य अपशिष्ट प्रबंधन/उपचार सुविधाओं और उच्च प्रदूषण क्षमता वाले उद्योगों की 17 श्रेणियों का एसपीसीबी/पीसीसी द्वारा तिमाही आधार पर निरीक्षण किया जाना है।
सीपीसीबी ने 07.11.2014 को सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली पर दिशानिर्देश और जुलाई 2017 में सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं। इसके अतिरिक्त, सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली के लिए पहला संशोधित दिशानिर्देश अगस्त 2018 में प्रकाशित किया गया है और बाद में 04.09.2020 को संशोधित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, सीपीसीबी ने उच्च प्रदूषण क्षमता वाले उद्योगों की सभी 17 श्रेणियों, गंगा बेसिन के अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों और सामान्य अपशिष्ट उपचार सुविधाओं को निगरानी तंत्र को सुदृढ़ बनाने और स्व-नियामक तंत्र एवं प्रदूषण के स्तर पर निरंतर निगरानी के माध्यम से प्रभावी अनुपालन के लिए ऑनलाइन सतत अपशिष्ट/उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) स्थापित करने का निर्देश दिया है। ओसीईएमएस के माध्यम से उत्पन्न व्यापार अपशिष्ट और उत्सर्जन के पर्यावरण प्रदूषकों के वास्तविक समय के मूल्यों को सीपीसीबी और संबंधित एसपीसीबी/पीसीसी को 24x7 आधार पर ऑनलाइन प्रेषित किया जाता है। केंद्रीय सॉफ्टवेयर डेटा को प्रोसेस करता है और यदि प्रदूषक पैरामीटर का मान निर्धारित पर्यावरणीय मानदंडों से अधिक है, तो स्वचालित एसएमएस अलर्ट तैयार होता है और औद्योगिक इकाई, एसपीसीबी और सीपीसीबी को भेजा जाता है, ताकि उद्योग द्वारा तुरंत सुधारात्मक उपाय किए जा सकें।
सीपीसीबी 17 श्रेणियों के उद्योगों और सामान्य अपशिष्ट उपचार सुविधाओं का निरीक्षण-सह-निगरानी करता है, जिन्हें इन उद्योगों में स्थापित ऑनलाइन सतत अपशिष्ट/उत्सर्जन निगरानी प्रणालियों (ओसीईएमएस) के माध्यम से उत्पन्न एसएमएस अलर्ट के आधार पर औचक रूप से चुना जाता है। गैर-अनुपालन पाए जाने पर पर्यावरण अधिनियमों के प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाती है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार औद्योगिक उत्सर्जन/अपशिष्ट निर्वहन और अन्य परिचालन गतिविधियों के अनुपालन की नियमित निगरानी।
गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों की पहचान की गई है और इन क्षेत्रों में पर्यावरण की गुणवत्ता बहाल करने के लिए कार्य योजना तैयार की गई है।
उद्योगों को समयबद्ध तरीके से आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण उपकरण स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
जल सघन उद्योगों जैसे कि आसवनी, लुगदी एवं कागज, चमड़ा उद्योग आदि के लिए चार्टर।
स्वच्छ/सर्वोत्तम उपलब्ध प्रौद्योगिकियों पर जोर
कपड़ा, बल्क ड्रग, डिस्टिलरी आदि में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) का कार्यान्वयन।
अनुलग्नक I, अनुलग्नक-II, अनुलग्नक-III और IV देखने के लिए यहां क्लिक करें -
यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
Comentarios