प्रवर्तन निदेशालय 23 Aug (ईडी), हैदराबाद जोनल कार्यालय ने माननीय विशेष एमपीजे कोर्ट, नामपल्ली, हैदराबाद के समक्ष विभिन्न मोबाइल लोन कंपनियों और एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों) के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत आरोप पत्र (पीसी) दायर किया है। माननीय न्यायालय ने 22 अगस्त 2024 को इस आरोप पत्र का संज्ञान लिया है।
ईडी ने तेलंगाना राज्य के साइबराबाद और राचकोंडा साइबर अपराध पुलिस स्टेशन द्वारा 2020-21 में विभिन्न मोबाइल लोन कंपनियों और एनबीएफसी के खिलाफ दर्ज 43 एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। जांच में यह सामने आया है कि इन कंपनियों ने अपने फंड का दुरुपयोग किया और मोबाइल लोन के माध्यम से अत्यधिक दरों पर और बहुरुपी प्रोसेसिंग फीस वसूल की। उन्होंने अल्पकालिक ऋण देने के लिए बंद/अनुपयुक्त/गैर-लाभकारी एनबीएफसी के साथ समझौते किए।
मोबाइल लोन ऐप्स ने लोन मंजूर करते समय उधारकर्ताओं से व्यक्तिगत डेटा जैसे इमेज, मैसेज और संपर्क विवरण प्राप्त किया। इस डेटा का दुरुपयोग उधारकर्ताओं को ऋण चुकाने के लिए मजबूर करने के लिए किया गया। उधारकर्ताओं को अन्य संभावित लोन ऐप्स के माध्यम से उच्च ब्याज दरों पर ऋण की पेशकश की गई, जिससे वे अपने मौजूदा ऋण चुका सकें, और इसके परिणामस्वरूप वे कर्ज के जाल में फंस गए। उत्पीड़न और जबरन वसूली के कारण कई उधारकर्ता आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गए।
ईडी ने पहले ही विभिन्न मोबाइल लोन कंपनियों और एनबीएफसी की 346.86 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क करने के पांच आदेश जारी किए हैं। इन कुर्की आदेशों और फ्रीजिंग आदेशों की कार्रवाई पीएमएलए के तहत न्यायालय द्वारा की गई है।
आगे की जांच जारी है।
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